हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,इराक के शहर नजफ अशरफ में 13वीं सदी की दुर्लभ पांडुलिपियों की प्रदर्शनी लोगों की व्यापक स्वीकृति के बीच आयोजित की गई।
जिसमें पहली शताब्दी से इस्लामी दुनिया में कुरान की सबसे महत्वपूर्ण और दुर्लभ पांडुलिपियां भी शामिल हैं हिजरी से लेकर तेरहवीं शताब्दी ईस्वी तक की लुप्तप्राय रचनाएँ इस्लामी जगत के सबसे कुशल शास्त्रियों द्वारा लिखी और समाप्त की जा चुकी हैं।
इस प्रदर्शनी में दुर्लभ पांडुलिपियों का खजाना शामिल था, विशेष रूप से पवित्र कुरान की एक प्रति जो हिजरी की पहली शताब्दी से तीसरी शताब्दी तक की अवधि की थी।
इस प्रदर्शनी में पवित्र कुरान की 12 पांडुलिपियां प्रदर्शित की गईं, जो चर्मपत्र पर लिखी गई थीं और सभी युगों के सबसे कुशल सुलेखकों द्वारा लिखी गई थीं। जिन दुर्लभ पांडुलिपियों पर विशेष ध्यान दिया गया है उनमें इमाम अली (अ.स.) की देन कुरान है।
यह प्रदर्शनी केवल पवित्र कुरान तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि इसमें शेख तुसी और इब्न कमुनेह जैसे विद्वानों द्वारा लिखित विभिन्न दार्शनिक और न्यायशास्त्र संबंधी कार्यों की 16 पांडुलिपियां भी शामिल थीं। पवित्र अलवी तीर्थ का पांडुलिपि खजाना एक विशाल खजाना माना जाता है।
जिसमें कुरान और मूल्यवान पांडुलिपियों सहित 7,500 से अधिक दुर्लभ पांडुलिपियां शामिल हैं।
यह प्रदर्शनी, जो नजफे अशरफ शहर में इमरान बिन शाहीन मस्जिद के हॉल में और अल-ग़दीर विश्व सप्ताह के अवसर पर अस्तानए अलवी द्वारा आयोजित की गई थी,